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पद:
तोक्यो विदेशी भाषा विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के अध्यक्ष ।
1980 में आप प्रोफेसर बन गए और सेवा निवृत्त होने तक हिंदी पढ़ाते रहे ।
1971 – तोक्यो विश्वविद्यालय के विदेशी भाषा विभाग में रीडर बने ।
1962- तोक्यो विश्वविद्यालय के विदेशी भाषा विभाग में कनिष्ठ प्रवक्ता के पद पर नियुक्त हुए ।
संस्थान:
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शिक्षा:
1961- तोक्यो विश्वविद्यालय के विदेशी भाषा विभाग से स्नातक की डिग्री ।
1965-1967 तक भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आई.सी.सी.आर) की छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत दिल्ली विश्वविद्यालय में डॉ सावित्री सिंह के निर्देशन में शोध-छात्र के रूप में रहे ।
प्रकाशन:
आपने शोध कर्ता के रूप में करीब 33 प्रबंध एवं लेख लिखे ।
आपने ‘भीष्म साहनी की कहानियां सहित रचनाओं का हिंदी से जापानी में अनुवाद किया ।
आपने महात्मा गांधी रचित साहित्य का जापानी भाषा में अनुवाद किया ।
आपने ‘मोहनदास करमचंद गांधी, सत्यना प्रयोगो अथवा आत्मकथा’ (2000 में), ‘हिंदी स्वराज’ (2000 में), और ‘दक्षिण अफ्रीकाना सत्याग्रहनो इतिहास’ (2001) का गुजराती से जापानी में अनुवाद किया ।
आपने भीष्म साहनी के ‘तमस’ और ‘बलराज : मेरा भाई’ का हिंदी से जापानी में अनुवाद किया ।
उल्लेखनीय गतिविधियाँ/ उपलब्धियाँ/ प्रतिभागिता:
विश्व हिंदी सम्मेलनों में आपकी सक्रिय प्रतिभागिता रही है । आपने ‘हिंदी का वैश्विक स्वरूप’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया था । आपने बिड़ला कॉलेज, कल्याण की गोष्ठी में भी भाग लिया ।
मान्यता/ पुरस्कार/ सम्मान:
आप भारत सरकार द्वारा ‘विश्व हिंदी सम्मेलन’ में हिंदी के शलाका-पुरुष के रूप में सम्मानित किये जा चुके हैं । आपको ‘जॉज ग्रियर्सन पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया गया ।
उल्लेखनीय सूचनाएँ:
आप हिंदी शिक्षक के रूप में विदेशों में, विशेषकर जापान में हिंदी सिखाकर ‘हिंदी के विश्वदूत’ के रूप में हिंदी की सेवा कर रहे हैं ।
विशेषज्ञता/ प्रवीणता/ रुचि के क्षेत्र:
जापान, एशिया, अनुवाद, सृजनात्मक लेखन, शिक्षा, प्रशासन Japan, Asia, Translation, Creative Writing, Education, Administration
वेब आधारित कड़ियाँ (Links):
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सूचना-स्रोत:
विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस
वेबसाइट/ ब्लॉग:
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