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प्रो.ल्युदमीला विक्तोरव्ना ख़ख़लोवा
Prof. Liudmila Viktorovna Khokhlova
पता:
Dom 11, Mokhovaya Ulitsa, Moscow- l03-9l7, Russia Email: ivik@orc.rukhokhl@iaas.msu.ru Phone: फ़ोन : +7-495-4571757मोबाइल : +7-903-5805038 |
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पद:
एसोसिएट प्रोफ़ेसर, अफ़्रीका और एशिया अध्ययन संस्थान, मास्को विश्वविद्यालय, मास्को,रूस (Institute of Asian and African Languages, Moscow State University)
संस्थान:
अफ़्रीका और एशिया अध्ययन संस्थान, मास्को विश्वविद्यालय, मास्को, रूस (Institute of Asian and African Languages, Moscow State University)
शिक्षा:
1. पीएचडी, हिंदी
2. भाषाई टायपोलोजी (Linguistic Typology) का अध्ययन
प्रकाशन:
1. हिंदी-उर्दू की प्रेरणार्थक क्रियाएँ, वेस्तनिक, मास्को विश्वविद्यालय का सूचना-पत्र, Papers of Moscow State University, № 3, पृष्ठ. 3-26
2. हिंदी में दर्द के अहसास के लिए उपयोग किए जाने वाले रूपक, विभिन्न भाषाओं में दर्द के रूपक, Kiev, प्रकाशक: Dmitri Burago, पृष्ठ. 229-280
3. हिंदी में गतिवाचक क्रियाएँ, Indo-Aryan Linguistics, Central Institute of Indian Languages Mysore, с. 153-162
4. हिंदी में 'अपना' सर्वनाम का उपयोग, अन्य भाषाओं से तुलनात्मक विश्लेषण, Papers of Moscow State University, series 13, № 1, पृष्ठ. 72-85
5. रूस में हिंदी पढ़ाने का इतिहास तथा आधुनिक समस्याएँ, विदेशी भाषा के रूप में हिंदी शिक्षण: परिदृश्य, स्पेन में प्रकाशित -- Universidad de Valladolid, Valladolid, Spain, पृष्ठ. 73-76
6. पश्चिमी भारतीय आर्य-भाषाओं में कर्मवाच्य का इतिहास, साहित्य और भाषा की समस्याएँ, 2008, अंक-2, पृष्ठ. 59-69
7. परिणामवाचक वाक्य, रूसी, हिंदी, उर्दू और पंजाबी, प्रकाशन: Resultative Structures in Russian, Hindi-Urdu and Punjabi, 2004, Indian Journal of Russian Language, Literature and Culture, Delhi, JNU publication, том 5, पृष्ठ. 20-46
8. तरल वातावरण में गतिवाचक क्रियाएँ, शब्दों के अर्थों का तुलनात्मक अध्ययन, प्रकाशक: इन्दरिक, मास्को, 2007
9. Typological Evolution of New Indo-Aryan Languages, 2000, पत्रिका Berliner Indologische Studien, खण्ड 13, पृष्ठ. 117-142
10. The Distribution of Analytic and Synthetic Passives in Indo-European Languages of Western India, 2003, Perspectives in Linguistics. Papers in Honor of P.J. Mistry, प्रकाशक - Indian Institute of Language Studies New Delhi, पृष्ठ. 139-157
1 1. Infringement of Morphological and Syntactic Operations’ Pairing in “Second Causative” Formation (Hindi-Urdu, Punjabi, Gujarati, Rajasthani) 2003, Indian Linguistics, पत्रिका में खण्ड 64, № 1, पृष्ठ. 1-18
1 2. Ergativity Attrition in the History of Western New Indo-Aryan Languages (Panjabi, Gujarati, Rajasthani), 2002, The Yearbook of South Asian Languages and Linguistics 2001, Tokyo Symposium on South Asian Languages. Contact, Convergence and Typology, प्रकाशक - Sage Publication New Delhi-London, पृष्ठ. 159-184
1 3. 2010,हिंदी पाठ्य पुस्तक
1 4. 1996, गुरु गोविन्द सिंह, जप साहिब, रूसी में अनुवाद और व्याख्या
1 5. 1990, पंजाबी पाठ्य पुस्तक
1 6. 1984, भारतीय पत्रिकाओं में हिंदी और पंजाबी
1 7. 1983, राजस्थानी भाषा पर बाहरी भाषिक तत्त्वों का प्रभाव
1 8. 1981, हिंदी और पंजाबी के शब्दों में लयात्मकता
1 9. 1975, राजस्थान में भाषा सम्बन्धी प्रचलन
20. 1974, राजस्थानी उपभाषाओं में वाक्य-रचना
2 1. 1973, सामाजिक भाषा वैज्ञानिक विश्लेषण
2 2. 1971, हिंदी में ध्वनि-व्यवस्था
उल्लेखनीय गतिविधियाँ/ उपलब्धियाँ/ प्रतिभागिता:
1. 2013, समकालीन भारत में बहुभाषिकता
2. 2013, सिख धर्म में मिथक और वास्तविकताएँ
3. 2013,पश्चिमी भारतीय-आर्य भाषाओं में विवशता वाचक वाक्य
4. 2012, भाषाविज्ञान के क्षेत्र में भारतीय रूसी सहयोग और उपलब्धियाँ, हैदराबाद सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी
5. 22nd European Conference on South Asian Studies, ISCTE - University of Lisbon, Lisbon, Portugal
6. मास्को विश्वविद्यालय में हिंदी पढ़ाने का अनुभव, 2011, यू.के. क्षेत्रीय हिंदी सम्मेलन बर्मिंघम, ब्रिटेन
मान्यता/ पुरस्कार/ सम्मान:
2007 हिंदी भाषा और साहित्य के क्षेत्र में अपने बहुमूल्य योगदान के लिए सम्मानित, 8वें विश्व हिंदी सम्मेलन न्यू-यॉर्क, भारत सरकार द्वारा
उल्लेखनीय सूचनाएँ:
आप विश्व हिंदी सचिवालय द्वारा आयोजित विश्व हिंदी दिवस 2015 में मुख्य अतिथि वक्ता के रूप में उपस्थित।
विशेषज्ञता/ प्रवीणता/ रुचि के क्षेत्र:
रूस, यूरोप, शिक्षण/शिक्षण शास्त्र, भाषा/भाषा शास्त्र Russia, Europe, Education/Pedagogy, Language/Linguists
वेब आधारित कड़ियाँ (Links):
उपलब्ध नहीं
सूचना-स्रोत:
संगोष्ठी समग्र पत्रिका, यूरोपीय संगोष्ठी, संपादक: श्रीश चन्द्र जैसवाल, वय्यादोलिद, स्पेन, पृष्ठ 144
प्रो.ल्युदमीला विक्तोरव्ना ख़ख़लोवा (इ-मेल)
वेबसाइट/ ब्लॉग:
उपलब्ध नहीं
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